Parakh khubsurti ki...??
परख खूबसूरती की...? चलो चलें रिश्ते जोड़ आते हैं, किसी की खामियों को शौक से बताते हैं, कैसे तुमको सामने बैठना नज़राना , घरवाले कितने शान से सिखलाते हैं। बेशक हजार खामी हो बेटो में, बदसुरत एक बेटी कहलाती है, रंग तो सांवला सा ही था बचपन से ही, यह किस खूबसूरती की तलाश में आ जाते हैं। एक इम्तिहान फिर देना है चलो, तुमको नमूना पेश करना है चलो, हंसना नहीं होंठो को सील लो तुम, तुमको सामने ले जाना है चलो। देखो नजरे नीचे ही रखना, कुछ पूछे तो तुम ज्यादा न कहना, उनकी बातों पर घबराना नहीं, तुमसे गलतियां ना हो पाए ख्याल रखना। उनके आते ही नजरें जो उनकी मुझे चुभने लगती है, मेरे अंदर जो मैं हूं कहीं मुझसे सवाल करती है, कद छोटा है, थोड़ी सांवली, बहुत दुबली सी लड़की है, इतनी खामियां जब मुझ में निकाले जाते हैं। फोटो देखकर बेज्जती करने क्यों सामने आ जाते हैं, हंसते हुए चेहरे को यह एक दाग लगा जाते हैं, इनकी परख देखकर दिल में खयाल मेरे उमड़ता है, किसी की बेटी को यह सामान सा परख जाते हैं। कब तक चलेगी यह खूबसूरती की पहचान है, हजारों रिश्ते हर देश मे जो जोड़े जाते है, आईना देख मुस्कुराती थी जो खूबसूरती,...