Yaade..!
![Image](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgggHsmwJpDlQj63x1en-BlB9x3WkjGEbcXeMSOs2P9KhQc99p13BG3LX1w5Iv1V3O3i6FU_sE4gARs3Ol5nocKvURFtVcziPCcJ6sb2in1AF2l4pKLmVy91tdQa6_BqekzTkl5rpWJyao/w370-h211/IMG_20201031_174918.jpg)
यादे..! बहुत कुछ याद आता है, वो लम्हे खूबसूरत थे, बातें जो अनकही सी थी, वो नजरें जो झुकी सी थी, खुला सा आसमां भी था, बिन वजह मुस्कुराना था, खुशियों का मौसम था, हर दिन नया किस्सा नया सपना बनाना था, हाथों को थाम कर यूं ही दौड़ लगाना था, किस्मत की लकीरों से खुशियों को चुराना था, बिन बोले समझना था, कभी मदहोश यह मन था, शरारती बस भरी सी थी, जिम्मेदारियों की फिक्र ना थी, वह यारों का जमाना था, बंद मुट्ठी में खजाना था, बहुत कुछ याद आता है, वो लम्हे खूबसूरत थे। Shaikh Shabana