Ek sach zindagi ka..!
एक सच जिंदगी का..!
एक ऐसा दौर आएगा,
इंसानियत भुल जाएगा,
बचपन में सुनी कहानी,
यूं आज सामने आएगा।
किस बात का तुम्हें गुरूर है,
यहाँ हर इंसान मजबूर हैं,
दौलत जिसके पास है,
सुकून उसे कहा दस्तियाब है।
मुंतजिर हर राह मे हैं,
लोगों के हसराते बेहिसाब है,
भाग रहा है तु किसके पिछे,
बना रहा किसका मुस्तकबिल है।
जिंदगी एक इम्तिहान है,
वाक़िफ हर इंसान है,
कभी गमों का ढेर है,
कभी खुशियों का सामान है।
मेरी जात बस एक ख़ाक है,
सब हसराते बेकार है,
बाकी यहां फसाना और खेल है,
वाजिब यहां बस मौत है।
शबाना शेख
Absolutely right ❤️🔥
ReplyDeleteThanks ☺️
Delete💯 % right baby good job
ReplyDeleteAbsolutely correct
ReplyDeleteOnly die is truth
Yes
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