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Showing posts from May, 2020

Mai Apne Gav jaraha hu...!

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मैं अपने गाँव जा रहा हूँ।  मैं गरीब मजदूर हूँ। रोज़ की कमाई,चंद रूपए लीए जा रहा हूँ। बंद पड़े ये दिन,अब सताने लगे। पेट कैसे भरें ये बताने लगे। बहुत परेशानी से जा रहा हूँ। मैं अपने गाँव जा रहा हूँ। जवानी दे दी इस शहर को हमने। लेकिन फरेब ना कीया कभी। बग़ैर चप्पल नीकल गए हैं,लेकर मन में आशा। मेरा घर है जहां, में जा रहा हूँ वहाँ। हां! खाली हाथ जा रहा हूँ। मैं अपने गांव जा रहा हूँ। हकीकत कैसे बताऊँ, यहाँ क्या हो गया। मैं घर से पैदल निकल गया। मेरा एक बच्चा भुका मर गया। इल्ज़ाम किस्को दू , अब इनतीकाम किस्से लू। टुटी हुई सवारी लिए जा रहा हूँ । मैं अपने गाँव जा रहा हूँ। मुझे जाने दो साहब, मुझे मारो नही। मेरा परिवार है भुखा। मैं बहुत दूर जा रहा हूँ। बहुत से ख्वाब तोड़ जा रहा हूँ। जिंदा नहीं, मैं मर कर भी जा रहा हूँ। मैं अपने गाँव जा रहा हूँ। शबाना शेख Image by  apnews.com

Dastan e Betiya...!

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दास्ताने बेटियां ... मेरे जन्म लेने पर नाराज़ हुए लोग, एक दहेज़ और जुटाना है कहने लगे लोग, बचपन से तरीका सिखाया गया मुझे, हसना कब है बताया गया मुझे, बेटियां होतो है परायी बताने लगे लोग। मेरे बड़े होने पर शादी कर दी गयी, बचपन बिताया घर एक पल में पराया हो गयी, मायके आने पर अब मेरा ही सामान मुझे चिढ़ाता है, मेहमान हो गयी अब तू ये हर रोज़ बताता है। माँ कहती है तु हमेशा कुछ भूल जाती है, सामान अच्छे से रख लो जब वो ये कहती है, मेरे अंदर ना जाने कितने खवाब टूट जाते है, बेटी मायके आई है इसलिए सब बुजुर्ग मिलने आते है। कितने दिन रहेगी जब वो अनजाने में पूछ लेते है, मुझे एक घाव ग़हरा दे जाती है, यह कैसा समाज है, यह कैसा रिवाज है, जिस बेटी से बढ़ती है दुनिया उसे कमज़ोर बताते है। जो बेटी बचपन मे ज़िद्द से अपनी बात मनवा लेती है, आज पैसे न होने पर कयूं मांगने से घबराती है, सच कहते है, पंख होते है मगर,घर नही होते बेटियों के, लोग होते है उसके मगर समाज नही होते बेटियों के। शबाना शेख Photo credit  J.HOQUE PHOTOGRAPHY ...

TALASH Hai..!

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तलाश है  मुझे मंज़िल से भी आगे मंज़िल तलाश है, भटका मुसाफिर हूँ मैं, रास्ता तलाश है, बचपन में कहीं गुम हो गयी, वो नासमझ, नादान सी हसी तलाश है। बेचैन राते ना जाने कितनी गुज़र गयी, मिल जाये सुकून वो राते तलाश है, गिरते हुए मुझे थाम ले कोई, मुझे ऐसे हमसफर की तलाश है। मुक़ाबला नही ज़माने से मेरा, बस खुदको पाने की तलाश है, बिना रस्मो रिवाजो की एक ज़िन्दगी बनाना है, कहीं दूर किसी जंगल मे ठहरा दरिया की तलाश है। मेरे जज़्बात से वाकिफ है मेरी कलम, खामोश ज़ुबान की सुन ले खुदा दुआ, मुझे ऐसे सच्ची इबादत की तलाश है। शबाना शेख Image by  Warren Wong

क़यामत आनी है!

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जब ज़ुल्म हद से बढ़ जाये, सच्चाई कहना रुक जाए, जब सहारा झूठ का हो, रिश्वत जब हर रूप का हो, बटवारा घर घर हो जाये, यह मुल्क की नाकामी है, एक दिन क़यामत आनी है। मुनाफिक की जब हुक्मरानी हो, जब घरो में आग लगे, हर इंसान की राख जले, सच्चाई के रास्ते ढक जाए, यह गरीबी आपकी मेहरबानी है, एक दिन क़यामत आनी है। जिस मुल्क की बेटी महफूज़ नही, हर दिन बने निर्भया और लक्ष्मी, उस मुल्क की तरक़्क़ी कैसे हो, बुलंद जब हम अपनी आवाज़ करे, हमको चुप ये दगाबाज़ करे, यह सब एक निशानी है, यह दुनिया यारों फानी है। एक दिन क़यामत आनी है। एक दिन क़यामत आनी है। शबाना शेख Image by  Clément Falize

Raat ki Uljhan!

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Aaj raat hogai, Mujhe neend nahi Arahi, Raat ki Uljhan badhti jarahi, Raat bhar karwate badalti hi rahi, Waqt chalta raha, Magar mai thheri rahi. Kabhi waqt to kabhi uth kar baithi rahi, Ye uljhane kuch mujhe kehti rahi, Dara kar khamosh mujhe karti rahi, Aankhe band thi magar , Mai raat bhar jagti rahi. Raat Gehri hui, Mai bas sochti rahi, Awaz har taraf gunjti rahi, Kaano pe haath rakh kar mai sunti rahi, Raat darr batane lagi, Mai uljhano me Darti rahi. Suraj Nikal gaya yaha, Or raat meri kat gai, Roshni ko mai yunhi, Raat bhar takti rahi, Raat ki uljhane raat bhar satati rahi, Sab sote rahe yaha, Or mai raat bhar jagti rahi. Shaikh Shabana