TALASH Hai..!

तलाश है 

मुझे मंज़िल से भी आगे मंज़िल तलाश है,
भटका मुसाफिर हूँ मैं, रास्ता तलाश है,
बचपन में कहीं गुम हो गयी,
वो नासमझ, नादान सी हसी तलाश है।

बेचैन राते ना जाने कितनी गुज़र गयी,
मिल जाये सुकून वो राते तलाश है,
गिरते हुए मुझे थाम ले कोई,
मुझे ऐसे हमसफर की तलाश है।

मुक़ाबला नही ज़माने से मेरा,
बस खुदको पाने की तलाश है,
बिना रस्मो रिवाजो की एक ज़िन्दगी बनाना है,
कहीं दूर किसी जंगल मे ठहरा दरिया की तलाश है।

मेरे जज़्बात से वाकिफ है मेरी कलम,
खामोश ज़ुबान की सुन ले खुदा दुआ,
मुझे ऐसे सच्ची इबादत की तलाश है।


शबाना शेख

Image by Warren Wong

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